Dev Uthani Ekadashi 2025 Date, Puja Vidhi, Katha & Significance
देव उठनी एकादशी 2025 – भगवान विष्णु के
जागरण का शुभ पर्व
Dev Uthani Ekadashi 2025 Date, Puja Vidhi, Katha & Significance
🌸 भूमिका
जब चार महीने का चातुर्मास समाप्त होता है, तब आता है देव उठनी एकादशी, जिसे प्रबोधिनी एकादशी भी कहा जाता है। यह दिन भगवान विष्णु के निद्रा से जागरण का प्रतीक है। शास्त्रों के अनुसार, इस दिन भगवान विष्णु क्षीरसागर में चार महीने की योगनिद्रा से जागते हैं और एक बार फिर सृष्टि के पालन में प्रवृत्त होते हैं।
इस पवित्र अवसर से शुभ कार्यों जैसे विवाह, गृह प्रवेश, व्रत-उपवास, और दान-धर्म के कार्य पुनः आरंभ होते हैं।
📅 देव उठनी एकादशी 2025 की तिथि व मुहूर्त
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तिथि: शनिवार, 1 नवंबर 2025
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एकादशी प्रारंभ: 31 अक्टूबर रात 10:56 बजे
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एकादशी समाप्त: 1 नवंबर शाम 11:28 बजे
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व्रत पारण (तोड़ने का समय): 2 नवंबर प्रातः 6:20 से 8:45 बजे तक
👉 स्थानानुसार समय में अंतर संभव है, इसलिए अपने क्षेत्रीय पंचांग से पुष्टि अवश्य करें।
🕉️ देव उठनी एकादशी का पौराणिक महत्व
पुराणों में वर्णन है कि जब भगवान विष्णु शयन करते हैं, तब सभी देवता विश्राम की अवस्था में चले जाते हैं। इस अवधि को चातुर्मास कहा जाता है। जब भगवान विष्णु देव उठनी एकादशी पर जागते हैं, तो पुनः समस्त शुभ कार्यों की शुरुआत होती है।
इस दिन तुलसी विवाह का आयोजन भी किया जाता है। माना जाता है कि भगवान विष्णु और तुलसी माता का विवाह इस दिन सम्पन्न होता है, जिससे पृथ्वी पर मंगल ऊर्जा का प्रसार होता है।
🌼 व्रत एवं पूजा विधि
प्रातः-कालीन नियम
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ब्रह्म मुहूर्त में उठकर स्नान करें और स्वच्छ वस्त्र धारण करें।
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घर के पूजा स्थल या मंदिर को गंगाजल से शुद्ध करें।
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भगवान विष्णु की मूर्ति या चित्र स्थापित करें।
पूजन प्रक्रिया
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भगवान विष्णु को पीले फूल, तुलसी पत्र, पंचामृत, और भोग अर्पित करें।
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दीप जलाएं और “ॐ नमो नारायणाय” मंत्र का जप करें।
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‘ऊँ विष्णवे नमः’ का 108 बार जाप अत्यंत शुभ माना गया है।
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तुलसी माता की आरती करें और तुलसी विवाह का संकल्प लें।
व्रत का पालन
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उपवास के दौरान फलाहार या केवल जल सेवन करें।
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दिन भर भगवान विष्णु का नाम स्मरण करते रहें।
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अगले दिन द्वादशी तिथि में व्रत का पारण करें।
🙏 तुलसी विवाह की कथा
किंवदंती के अनुसार, तुलसी देवी पहले Vrinda थीं — जो असुर राजा जालंधर की पत्नी थीं। उनके पतिव्रत-बल से देवता भी पराजित हो गए थे। भगवान विष्णु ने ब्रह्मा के कहने पर जालंधर का वध किया और फिर तुलसी को वरदान दिया कि वह सदा उनकी प्रिय रहेंगी। इसी के प्रतीक रूप में देव उठनी एकादशी पर तुलसी-शालिग्राम विवाह सम्पन्न किया जाता है।
🪔 दान-पुण्य का महत्त्व
“एकादशी तिथि दानं सर्वपाप विनाशनम्।”अर्थात्, एकादशी के दिन किया गया दान समस्त पापों का नाश करता है।
🌻 सामाजिक व आध्यात्मिक संदेश
🌞 विशेष मंत्र
🌸 निष्कर्ष
🙏 इस एकादशी पर जागृत हों — अपने भीतर, अपने कर्म में, और अपनी आस्था में।


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